देव दीपावली पर बन रहे 3 शुभ योग, दीपक जलाने का मुहूर्त और महत्व



कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली या देव दिवाली है. इस साल देव दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. 

देव दीपावली या देव दिवाली कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाते हैं. देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद आती है. । यह पर्व मुख्य रूप से काशी में गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं। देवों की इस दिवाली पर वाराणसी के घाटों को मिट्टी के दीयों से सजाया जाता है। काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन काशी नगरी में एक अलग ही उल्लास देखने को मिलता है। चारों ओर खूब साज-सज्जा की जाती है।  शास्त्रों में इस दिन दीपदान का भी महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि के प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस साल देव दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल देव दिवाली की तिथि और इस दिन दीपदान का महत्व...




कब है देव दीपावली 2023?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर रविवार को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से अगले दिन 27 नवंबर सोमवार को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट तक है. देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में मनाई जाती है, इसलिए इस साल देव दीपावली 26 नवंबर रविवार को मनाई जाएगी, जबकि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 27 नवंबर सोमवार को होगा.

देव दीपावली 2023 दीप जलाने का शुभ मुहूर्त

इस बार देव दीपावली पर दीप जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 08 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक है. उस दिन आपको दीप जलाने के लिए 2 घंटे 39 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा. 27 नवंबर को वाराणसी में सूर्यास्त शाम 05:08 बजे होगा. उस समय से प्रदोष काल प्रारंभ हो जाएगा.

3 शुभ योग में है देव दीपावली 2023

इस साल देव दीपावली पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन रवि योग, परिघ योग और शिव योग बन रहे है. देव दीपावली को प्रात: 06 बजकर 52 मिनट से रवि योग प्रारंभ होगा, जो दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. वहीं परिघ योग प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 37 मिनट तक है, उसके बाद से शिव योग शुरू होगा. जो कार्तिक पूर्णिमा को रात तक रहेगा.

देव दीपावली 2023 पर स्वर्ग की भद्रा

देव दीपावली को प्रात:काल से लेकर दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक भरणी नक्षत्र है. उसके बाद से कृत्तिका नक्षत्र है. उस दिन भद्रा भी लगेगी. भद्रा दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से लेकर अगले दिन तड़के 03 बजकर 16 मिनट तक है. हालांकि भद्रा का वास स्वर्ग लोक में है. इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होता है.

देव दीपावली का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने असुरराज त्रिपुरासुर का वध करके देवों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस वजह से देवी और देवताओं ने शिव नगरी काशी में गंगा के तट पर स्नान किया, दीप जलाए और भगवान शिव की पूजा की. वह देवों की दीपावली थी, जो कार्तिक पूर्णिमा को प्रदोष काल में मनाई गई. तब से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को काशी नगरी में गंगा के घाटों पर देव दीपावली मनाई जाती है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.




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