प्रकाश पाराशर चेतक न्यूज
नीमच । अतिथि की सेवा देवता की सेवा के समान होती है। अतिथि सेवा के बदले जो आशीर्वाद प्रदान करता है वह सकारात्मक आशीर्वाद होता है। सेवा के साथ नकारात्मक ऊर्जा भी लेकर जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का आशीर्वाद देकर जाता है इसलिए अतिथि की सेवा ईश्वर की सेवा के समान होती है।यह उद्गार प.प्रमोद उपाध्याय ने कही।वे कुबेरश्वर महादेव महिला मंडल बगीचा नंबर 10 सिटी रोड़ नीमच के तत्वावधान में आयोजित शिव पुराण कथा में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि राम नाम स्मरण सदैव सत्य होता है। सब संसार झूठा होता है। इसलिए सदैव सत्य बोलना चाहिए। सत्य ही ईश्वर का स्वरूप होता है। प्रत्येक महिला मातृशक्ति को अपने पति को परमेश्वर मानकर सेवा करना चाहिए।क्यों कि पति परमेश्वर का स्वरूप होता है।लक्ष्मी माता ने भी विष्णु भगवान की सेवा की और सुख समृद्धि को पाया था। लेकिन आधुनिक युग में महिलाएं पति की सेवा करने में शर्म करती है चिंता का विषय है।प्रशंसा करना मूर्खता के समान होता है इसलिए किसी व्यक्ति की झूठी प्रशंसा नहीं करना चाहिए।कोलकाता जीवन के अनमोल संस्कार की शिक्षा देती है।तथा परिवार में प्रेम के साथ जीवन जीने की कला सिखाती है। महादेव को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। सिर्फ जल और बिल्व पत्र ही चढ़ाना चाहिए। शंकर भगवान जगत को सदैव दान ही दान देते रहते हैं। शंकर भगवान हर हर बोलने से पाप हर लेता है।दक्ष प्रजापति का अहंकार को शंकर भगवान ने नष्ट कर दिया था।अंहकार रावण का भी नहीं रहा था फिर हम तो साधारण मनुष्य हैं इसलिए हमें जीवन में कभी भी किसी भी बात पर अहंकार नहीं करना चाहिए।हम अच्छे कर्म करेंगे तो हमें भी जीवन में अच्छे ही फल मिलेंगे। मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। यदि हम किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी नहीं करना चाहिए।जो दूसरों के लिए बुरा सोचता है पहले उसका बुरा होता है। शिव पुराण कथा श्रवण करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। पति और भगवान से कुछ नहीं छुपाना चाहिए।भजन श्रवण करने से पापा का विनाश होता है।शिव पुराण कथा श्रवण करने से मनुष्य तो क्या भूत पिशाच का भी कल्याण हो जाता है। महादेव की भक्ति करे तो पितरों का भी कल्याण होता है।संसार के सामने रोने से अच्छा है कि भगवान के सामने समस्या रखना चाहिए। शिव भक्ति जीवन का प्रमुख आधार होती है।शिव पुराण परिवार में प्रेम के साथ जीवन जीने का संदेश देती है।समुद्र मंथन में विष निकला शंकर भगवान ने विष को गले में रखा और संसार को नीलकंठ होने का संदेश दिया।भजन कीर्तन और तीर्थ यात्रा की कोई उम्र नहीं होती है। किसी भी उम्र में करें तो फल सुखदाई होता है।मनुष्य का शरीर हड्डियों के ढैर में बदलने वाला है। इसलिए सभी के साथ प्रेम सद्भाव के साथ रहना चाहिए। सती अनुसुइया का सतीत्व बहुत शक्तिशाली था इसीलिए ब्रह्मा विष्णु महेश को भी उन्होंने दुध पीते बच्चे बनाकर अपने पास रख लिया था। सती का सतीत्व सदैव पवित्र होता है।सत्य स्वयं निरंतर आगे बढ़ता रहता है सत्य को किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होती है। अनंत हरि कथा अनंत होती है। केतकी और चंपा के फूल महादेव पर नहीं चढ़ाना चाहिए इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए। पहली रोटी गाय के लिए निकलना चाहिए।
जो मनुष्य शंकर भगवान के मंदिर में सफाई या सेवा करता है उसके जीवन का कल्याण हो जाता है। महादेव के मंदिर में जय श्री राम बोलेंगे तो शंकर भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर मेरी कुटिया के भाग आज खुल जाएंगे राम आएंगे। भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु झूम उठे।शिव पोथी पुराण पुजा आरती में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश पप्पू जैन, मिशन विश्व गुरु के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीके सोलंकी, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की प्रदेश अध्यक्ष पूजा यादव, राधा बैरागी, ललित पाटीदार, गिरजा शंकर परिहार,आदि उपस्थित थे। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
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