चीताखेड़ा गांव में जनसमस्याएं चारों ओर मुंह बाए खड़ी हैं कोई सुनने वाला नहीं है




 दशरथ माली -

         चीताखेड़ा -29 अप्रैल। स्थानीय गांव में जनसमस्याओं का चारों ओर बोलबाला है और जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि जब एक साथ एकत्रित हो जाते हैं तो इनकी द्वारा बीना हाथ पैर की बातें तो विकास कार्य की इतनी होती है कि मानों गांव की गलियों में कांच जुड़वां दिए गए हों। परंतु जमिनी हकीकत तो यह है कि यहां की जनसमस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। एक तरफ से गांव की जनता नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। 

       चैनपुरा चौराहा से नायनखेडी मार्ग पर स्थित जैन धर्म शाला के पीछे के दरवाजे से लेकर पुराना पंचायत भवन तक नाली गटर में बहने वाला गंदा पानी बदबू दार किचड़ आम रास्ते में बह रहा है।इस मार्ग पर गुजरने वाले वाहन तो दूर पैदल चलना भी दुश्वार हो गया है। थोड़ी बहुत नाली निर्माण थी वह भी घटिया निर्माण की भेंट चढ़ गई और खुर्द-बुर्द हो गई। जिससे नाली में बहने वाला गंदा पानी मुख्य मार्ग के बीच भरा रहता है मार्ग से गुजरने वाले वाहनों से उछलकर राहगीरों पर छीटे उड़ रहे हैं तो वहीं मोटरसाइकिल सवार गड्डे और किचड़ में गिर कर चोटिल हो रहें हैं। लगभग छः महीने से इस मार्ग की दयनीय स्थिति बनी हुई है लेकिन पंचायत में बैठे जवाबदार इस मार्ग से भली-भांति परिचित होने के बावजूद भी धृतराष्ट्र बने हुए हैं। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि भी अपनी जवाबदारियों से भटके हुए हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने को ही अपना कर्तव्य समझ बैठे हैं। बताया गया है कि पंचायत में 20 वार्ड है और इतने ही पंच निर्वाचित हुए हैं परन्तु अधिक तर पंच युवा पीढ़ी है अनुभवी बुजुर्ग पंच एक भी नहीं है। युवा पंंच आपस में आरोप प्रत्यारोप में ही बैठक का समय बर्बाद कर देते हैं इनको समझाइश देने वाला अनुभवी तक नहीं है जो जनहित में कोई निर्णय ले सकते है। जिन जनप्रतिनिधि को समस्या बताते हैं तो सुनने के बजाए सुनाने लग जाते हैं, और जनप्रतिनिधि ही एक समस्या बन जाते हैं।

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