ध्वजा महोत्सव का शंखनाद, धर्मध्वजा के लिए किया श्रम निष्फल नहीं होता है साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब, साध्वी महाराज साहब के मंगल प्रवेश में उमड़े समाजजन
नीमच चेतक न्यूज । मंदिर की धर्म ध्वजा के लिए किया गया परिश्रम पुरुषार्थ कभी निष्फल नहीं होता है। मंदिर की ध्वजा हमें जीवन पर्यंत संघर्ष के साथ जीवन जीना सिखाती है। जिस प्रकार मंदिर की धर्म ध्वजा लहराती है उसी प्रकार हमें भी तपस्या कर अपनी आत्मा के कल्याण के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ करना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। धूप और तूफानी हवाओं के बावजूद कठिन संघर्ष और परिश्रम के बावजूद भी ध्वजा हमें सहनशीलता का संदेश देती है। जीवन में तपस्या करना भी एक संघर्ष है और इस संघर्ष के बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। यह बात साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब ने कही ।वे महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर के तत्वाधान में महावीर जिनालय के ध्वजा अष्टानिका महोत्सव के प्रथम दिवस विकास नगर जैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि तपस्या जीवन में आनंद का मार्ग दिखाती हैं। महावीर के संदेश से शरीर का रोम-रोम पुलकित होना चाहिए तभी वह सार्थक सिद्ध हो सकता है ऊंचे लोग ऊंची पसंद, सपने भी देखे तो तीर्थंकर बनने के गणधर तो बन ही जाएंगे और आत्मा का कल्याण होगा। धर्म ध्वजा चढ़ाने का धर्म पुरुषार्थ सच्चा आनंद देता है। महावीर स्वामी जीव दया के प्रेरक थे ।वे कायर नहीं वीर थे। जीवन में संकल्प ले तो अनादि मुनि जैसा ले जो पूरा हो सके। मध्य प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र में चुनाव है विभिन्न पार्टी के नेता घर-घर वोट मांगने आ रहे हैं। हमें तपस्या में मन लगाकर अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए। कठिन समस्या का समाधान गुरु के मार्गदर्शन से मिलता है। संसार में यदि कुछ नहीं मिलता है तो सच्चा नेता नहीं मिलता है। तपस्या का संकल्प लेते उसे उसे पूर्ण कर दिखाना चाहिए। उन्होंनेकहा की जब भरत 14 वर्ष तक श्री राम की प्रतीक्षा में जागते रहे । कभी सोए नहीं तब भरत गुरु वशिष्ट के पास गए और कहां कि गुरु वशिष्ठ ऐसा उपाय बताओ कि मुझे नींद आ जाए तब गुरु वशिष्ठ ने पूछा कि तुम्हें नींद क्यों चाहिए तब उन्होंने कहा कि जब भी नींद आए तो मुझे राम सपने में तो आ जाए । धर्म ध्वजा सिद्ध अरिहंत और सम्मान का प्रतीक है। नाग सारथी की गृहणी सुलसा की परमात्मा ने अनेक प्रकार से परीक्षा ली लेकिन वह अपनी तपस्या और धर्म के प्रति दृढ संकल्प के साथ रही। महाराज साहब की मंगल प्रवेश शोभायात्रा जैन भवन मिडिल स्कूल मैदान से प्रारंभ हुई जो नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई विकास नगर जैन मंदिर पहुंची।इससे पूर्व महावीर जिनालय पर प्रस्तावित धर्म ध्वजा को शिरोधार्य कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा धर्म ध्वजा यात्रा निकाली गई। धर्म ध्वजा महोत्सव में धर्म लाभार्थी मोहनलाल आशीष कुमार सुराणा परिवार थे।
श्रीमती वंदना राकेश जैन आंचलिया ने कहा कि धर्म ध्वज के दर्शन मात्र से ही मन आत्मा पुलकित हो जाती है। ध्वजा के सम्मान के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। साध्वी महाराज साहब के प्रवचन नहीं अमृत प्रेरणा हैं। ध्वजा का पुरुषार्थ और परिश्रम पुण्य का फल देता है। धर्म सभा में सुराणा परिवार की मातृ शक्ति द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। राजेंद्र बंबोरिया द्वारा सभी समाज जनों से धर्म ध्वजा के धर्म सभा में परिवार सहित पधारने की विनती की। और आमंत्रण प्रदान किया।शनिवार सुबह 8बजे महावीर जिनालय से धर्म ध्वजा यात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से निकल कर मोहनलाल आशीष कुमार सुराणा के आवास पर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गई।
कार्यक्रम का संचालन राजमल छाजेड़ ने किया तथा आभार महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया।
ध्वजा यात्रा आज विकासनगर में
महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट के तत्वाधान में स्थानी का महोत्सव के अंतर्गत आयोजित धर्म ध्वजा यात्रा आज रविवार सुबह 8 बजे महावीर जिनालय विकास नगर से प्रारंभ होगी और क्षेत्र के प्रमुख मार्गो से होती हुई
129,,- 14-2 विकास नगर में राजेंद्र बंबोरिया के आवास पर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो जाएगी सभी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें।
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