धार्मिक संस्कारों के बिना आत्मज्ञान नहीं मिलता -साध्वी सुचिता श्रीजी मसा, महावीर जिनालय में धार्मिक अंताक्षरी प्रतियोगिता में उत्साह दिखाया समाज जनों ने
चेतक न्यूज
नीमच । धार्मिक संस्कारों को बचपन से ही बच्चों को सिखाना चाहिए ताकि वह बड़े होकर संस्कारों के माध्यम से नैतिक व्यवहार को समाज और परिवार में आगे बढ़ा सके। पश्चिमी संस्कृति के कारण युवा वर्ग भारतीय संस्कृति को भूल रहा है इसी कारण परिवारों का विखंडन नहीं हो,यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही।वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय विकास नगर आराधना भवन नीमच में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में भारतीय संस्कृति के संस्कार ही परिवारों की रक्षा कर सकते हैं परिवार को बिखराव से बचा सकते हैं। इस अवसर पर साध्वी सोम में रेखा श्री जी महाराज साहब की सद् प्रेरणा से धार्मिक संस्कारों को प्रोत्साहन के लिए महिलाओं एवं समाज के बच्चों की धार्मिक
अंताक्षरी प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें 10 टीमों ने भाग लिया।एक टीम में पांच-पांच लोगों के समूह को शामिल किया गया था। तीन चक्र में आयोजित किए गए जिसमें प्रथम राहुल जैन पगारिया एवं टीम द्वितीय सविता तडवेचा एवं टीमऔर तृतीय स्थान पर धीरज भामावत ,राजेंद्र बंबोरिया टीम रही।विजेता को राकेश आचलिया द्वारा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। अंताक्षरी प्रतियोगिता का संचालन शिल्पा कच्छारा एवं श्रीमती अर्पिता मुरडिया ने किया।इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू.सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है।श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9:15 बजे चातुर्मास में विभिन्न धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन होगा । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।
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