शीतला सप्तमी, शीतला अष्टमी, दशा माता सहित सभी आवश्यक जानकारी , जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा

 


प्रकाश पाराशर, चेतक न्यूज

चैत्र में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी को यह व्रत रखा जाता है. शीतला सप्तमी के दिन भक्त व्रत रखकर पूरे विधि विधान और भक्ति भाव से माता शीतला की पूजा की जाती है. 



हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी के व्रत का बहुत महत्व होता है. हिंदू पंचाग के प्रथम माह चैत्र में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी को यह व्रत रखा जाता है. हालांकि व्रत की शुरुआत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को हो जाती है और अगले दिन अष्टमी तक चलती है जिसे शीतला अष्टमी कहते हैं. शीतला सप्तमी के दिन भक्त  व्रत रखकर पूरे विधि विधान और भक्ति भाव से माता शीतला की पूजा की जाती है. अगले दिन शीतला अष्टमी को माता को बसौड़े का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि देवी माता शीतला की पूजा से भक्तों को आरोग्य प्राप्त होता है और सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. 

आइए जानते हैं कब रखा जाएगा शीतला सप्तमी का व्रत, शुभ मुहूर्त और शीतला सप्तमी की पूजा विधि. 

शीतला सप्तमी 21 को तो 29 को रहेगी देव पितर अमावस्या

कर्म काण्डीय विप्र परिषद अध्यक्ष एवं ज्योतिषी पं. राधेश्याम उपाध्याय ने बताया कि इस पक्ष में सर्वार्थ सिद्धि योग आज 16 मार्च को प्रातः 7 से 11:30 बजे तक है, इसी दिन संत तुकाराम जयन्ती रहेगी। 17 मार्च को चैत्री चौथ व्रत है। चंद्र दर्शन रात्रि 9:30 बजे पश्चात होंगे। 19 मार्च को रंग पंचमी श्री पंचमी मनायी जायेगी। कोई भी व्रत पूजन विधानानुसार आचरण करने पर ही फलदायी होता है, शीतला माता की कृपा प्राप्ति हेतु श्रद्धालु 20 मार्च छठ गुरूवार को देवी के लिए भोग बनाए तथा शुक्रवार 21 मार्च शीतला सप्तमी के दिन शीतला सामग्री से शीतला माता का पूजन अर्चन करें परंपरानुसार जो शीतला अष्टमी पूजते हैं, वे अनुयायी अष्टमी 22 मार्च को पूजन विधान पालन करेंगे। आगे 24 मार्च को दशामाता छठ व 25 को पापमोचिनी एकादशी व्रत रहेगा किन्तु पंचांग व मत भेद से 26 को भी यह व्रत मान्य है। 27 मार्च को प्रदोषव्रत व मास शिव रात्रि तथा इसी दिन रंग तेरस उत्सव मनाया जायेगा। 29 मार्च को देव पितर शनिश्चरी अमावस्या है तथा इसी दिन ही संवत 2081 पूर्ण होगा।

शीतला सप्तमी की तिथि 

शीतला सप्तमी को यह व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है. इस वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 मार्च को देर रात 2 बजकर 45 मिनट पर शुरू होकर 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट तक रहेगी. शीतला सप्तमी का व्रत 21 मार्च शुक्रवार को रखा जाएगा. शीतला सप्तमी पर पूजा के लिए शुभ समय 21 मार्च को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 33 मिनट तक है. 

शीतला अष्टमी में शुभ मुहूर्त 

शीतला सप्तमी के अगले दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीतला अष्टमी मनाई जाती है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू होकर 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. शीतला अष्टमी को बसौड़ा मनाया जाएगा. इस दिन माता को बसौड़ा का भोग लगाया जाता है और विशेष पूजा की जाती है. 

शीतला सप्तमी शुभ योग 

इस बार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं. सिद्धि योग- शाम 6 बजकर 42 मिनट तक है. इस योग में मां शीतला की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता एवं सिद्धि मिलती है. रवि योग- शीतला सप्तमी पर रवि योग का भी संयोग है. इस योग में मां शीतला की साधना करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है. भद्रावास योग- शीतला सप्तमी को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक भद्रावास योग है. 

शीतला सप्तमी की पूजा विधि 

प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प करें और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी करें. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शीतला माता की मूर्ति या छवि स्थापित करें. माता शीतला को जल चढ़ाएं. उसके बाद हल्दी पाउडर, चंदन, सिंदूर, या कुमकुम से सजाएं. माता शीतला को लाल रंग के फूल अर्पित करें. धूप-दीप जलाएं. श्रीफल और चने की दाल चढ़ाएं. आरती के साथ पूजा करें. माता शीतला को प्रणाम करें. 

शीतला अष्टमी को बसौड़े का भोग 

शीतला सप्तमी के अगले दिन शीतला अष्टमी के दिन देवी को बसौड़े का भोग लगाया जाता है. यह भोग सप्तमी को तैयार किया जाता है. भोग के लिए गुड़ चावल या गन्ने के रस और चावल की खीर तैयार की जाती है. अष्टमी के दिन उसी खीर का भोग देवी को लगाया जाता है. शीतला अष्टमी को ताजा भोजन मनाहे की मनाही होती है और प्रसाद के रूप में सभी खीर ग्रहण करते हैं.

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